Place Where Cats Rule Not Dogs
बिल्लियों का साम्राज्य: हाल के दिनों में आवारा कुत्तों की समस्या ने काफी तूल पकड़ लिया है। यह मुद्दा दिल्ली से शुरू होकर पूरे देश में फैल गया है। लखनऊ से लेकर बंगलुरु और चेन्नई तक लोग आवारा कुत्तों से परेशान हैं और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इसकी वजह भी स्पष्ट है, क्योंकि आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाएं बढ़ रही हैं। लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में एंटी-रेबीज़ के इंजेक्शन लगवाने वालों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं।
हालांकि, एक ऐसा शहर है जो इस समस्या से अछूता है, और वह है मुंबई। इस मेगा सिटी ने अपने ठोस प्रयासों और योजनाओं के माध्यम से आवारा कुत्तों की समस्या पर नियंत्रण पा लिया है। मुंबई में आवारा कुत्तों की संख्या में कमी आई है, जबकि बिल्लियों की संख्या में वृद्धि हुई है। यह ध्यान देने योग्य है कि मुंबई हमेशा से ऐसा नहीं था, पहले यहां भी आवारा कुत्तों की भरमार थी, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। यह सब नगर निगम की मेहनत, एनजीओ की भागीदारी और जनता के सहयोग से संभव हुआ है।
बदलाव की कहानी बदलाव की कहानी
मुंबई में कोई जादुई उपाय नहीं अपनाया गया, बल्कि वही कदम उठाए गए जो अन्य शहरों में उठाए जाते हैं। यह कदम था कुत्तों की नसबंदी। बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियानों के बाद, मुंबई में आवारा कुत्तों की संख्या में स्पष्ट कमी आई है। लेकिन जहां कुत्तों की संख्या कम हुई है, वहीं बिल्लियों की संख्या में वृद्धि हुई है।
कुत्तों की कमी और बिल्लियों की भरमार
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह पाया गया कि मुंबई में प्रति किलोमीटर सड़क पर कुत्तों की संख्या में 21 प्रतिशत की कमी आई है। यह सफलता मुख्यतः पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम के कारण है, जिसमें 1990 के दशक से 4,00,000 से अधिक कुत्तों की नसबंदी की गई है। 2014 से 2023 के बीच अकेले 1,48,084 कुत्तों की नसबंदी की गई।
बिल्लियों की बढ़ती संख्या बिल्लियों की बढ़ती संख्या
जहां मुंबई में कुत्तों की संख्या में कमी आई है, वहीं आवारा बिल्लियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। खासकर शहर के पुराने इलाकों जैसे कोलाबा, फोर्ट, और लोअर परेल में बिल्लियों की भरमार है। पिछले पांच वर्षों में कुछ क्षेत्रों में बिल्लियों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है। लोग बिल्लियों को खाना खिलाते हैं और उनकी देखभाल करते हैं।
बिल्लियों की जीवनशैली बिल्लियों की जीवनशैली
एक एनजीओ, द फेलाइन फ़ाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, आवारा बिल्लियों का औसत जीवनकाल केवल छह से सात साल होता है, जबकि पालतू बिल्लियों का जीवनकाल 15 से 20 साल होता है। आवारा बिल्लियाँ अक्सर बीमारियों और सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होती हैं। एक मादा बिल्ली साल में तीन बार और हर बार पांच से छह बच्चे पैदा कर सकती है।
बिल्लियों पर नियंत्रण की कोशिशें बिल्लियों पर नियंत्रण की कोशिशें
जहां लोग बिल्लियों के प्रति सहिष्णु हैं, वहीं बीएमसी ने बिल्लियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए कुछ वार्डों में नसबंदी की योजना बनाई है। हाल ही में, बीएमसी ने देवनार पशु चिकित्सालय में मुफ्त बिल्ली नसबंदी सेवाएं शुरू की हैं। हालांकि, सामूहिक नसबंदी अभी तक नहीं हो पाई है।
मुंबई की अनोखी पहचान
अगर आप मुंबई जाएं, तो कुत्तों की कमी और बिल्लियों की भरमार पर ध्यान दें। दादर में सब्जी की दुकान में आराम करती बिल्ली या चर्चगेट के पास फुटपाथ पर बैठी बिल्लियाँ आपको चौंका सकती हैं। यह मुंबई की एक अलग पहचान है।
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